गीता प्रेस, गोरखपुर >> साधन की आवश्यकता साधन की आवश्यकताजयदयाल गोयन्दका
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इस पुस्तक में एक प्रकार से महापुरुषों की गोद माना जाता है उनके अनुभव में आयी हुई बातें सत्संग करनेवाले को बिना प्रयास मिल जाती है...
प्रस्तुत हैं पुस्तक के कुछ अंश
युधिष्ठिर का रथ सत्य के प्रभाव से पृथ्वी से ऊँचा चलता था, वह अब पृथ्वी
पर चलने लगा। उसका फल कल्पित नरक हुआ, अर्ध सत्य कहा, जिसमें कपट हो,
हिंसा हो, वह सत्य सत्य नहीं। जिस सत्य के लिए अपना गला कट जाए तो भी
परवाह नहीं, वह सत्य सत्य है। प्राण से बढ़कर सत्य को मान ले तो फिर मरने
की भी नौबत नही आयेगी। वर्तमान में देखो तो सही, भाई लोग बिना कारण ही
हँसी-मजाक में ही झूठ बोलते हैं।
पैसों के लिए, क्रोधवश तो करते ही हैं पर बिना ही कारण झूठ बोलते हैं। एक सत्य के ही पालन से सब काम हो जाते हैं। मेरे में दर्शन कराने की शक्ति नहीं है। पर मैं यह कहता हूँ कि सत्य का महत्त्व शास्त्रों में बहुत उच्च बतलाया है, जो भाई सत्य का सेवन करेगा, उसे अवश्य परमेश्वर की प्राप्ति हो जाएगी। भगवान् के राज्य में इतना तो आपको मान ही लेना चाहिये कि यह जो कहता है वह सत्य है। मैं यह नहीं कहता कि मेरी बात मान लो, पर शास्त्र और सन्त महात्मा यही कह रहे हैं। मैं धोखा नहीं देता, प्रामाणिक बात कहता हूँ, महात्माओं की शास्त्रों की भगवान्की बात कहता हूँ शास्त्रों का निचोड़ कहता हूँ।
आपके ऋषि, मुनि, शास्त्रों का विश्वास किया। एक ही बात सत्य ही परमेश्वर नाम है, सत्यका जप करना चाहिये, सत्य ही उसका स्वरूप है, उसी का ध्यान करना चाहिए, उसी का भाषण कहना चाहिये। वास्तव में मैं उसे ही अपना प्रेमी समझूँगा जो आज से झूठ नहीं बोलेगा।
पैसों के लिए, क्रोधवश तो करते ही हैं पर बिना ही कारण झूठ बोलते हैं। एक सत्य के ही पालन से सब काम हो जाते हैं। मेरे में दर्शन कराने की शक्ति नहीं है। पर मैं यह कहता हूँ कि सत्य का महत्त्व शास्त्रों में बहुत उच्च बतलाया है, जो भाई सत्य का सेवन करेगा, उसे अवश्य परमेश्वर की प्राप्ति हो जाएगी। भगवान् के राज्य में इतना तो आपको मान ही लेना चाहिये कि यह जो कहता है वह सत्य है। मैं यह नहीं कहता कि मेरी बात मान लो, पर शास्त्र और सन्त महात्मा यही कह रहे हैं। मैं धोखा नहीं देता, प्रामाणिक बात कहता हूँ, महात्माओं की शास्त्रों की भगवान्की बात कहता हूँ शास्त्रों का निचोड़ कहता हूँ।
आपके ऋषि, मुनि, शास्त्रों का विश्वास किया। एक ही बात सत्य ही परमेश्वर नाम है, सत्यका जप करना चाहिये, सत्य ही उसका स्वरूप है, उसी का ध्यान करना चाहिए, उसी का भाषण कहना चाहिये। वास्तव में मैं उसे ही अपना प्रेमी समझूँगा जो आज से झूठ नहीं बोलेगा।
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